ग्रामीण इलाकों में पहुंच से दूर परिवहन विभाग
लखनऊ। राजधानी में ट्रैफिक माह पर जोर दिया जा रहा है। सीएम योगी ने भी नियमों को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए हैं। अधिकारी भी अपनी पूरी कोशिश भी कर रहे हैं,लेकिन उनकी यह कोशिश शहरी इलाकों तक ही सीमित रह जा रही है। यही कारण है कि यह अभियान फाइलों में तेजी से दौड़ा,परन्तु माह और अभियान काल बीतने के साथ ही यह सीमित रह गया। यही कारण है कि 2024 में भारत में हेलमेट न पहनने के कारण 30,000 दोपहिया वाहन चालकों की मौत हो गई। दरअसल,परिवहन विभाग के अधिकारियों को परिवहन नियमो के तहत असीम क़ानूनी शक्ति दी गई है। लेकिन इस शक्ति का उपयोग शहरों तक और उच्चाधिकारियों को खुश करने तक सीमित है। यही कारण है कि लखनऊ के ग्रामीण इलाकों में यह कभी लागू न हो सका। इसका मुख्य कारण ग्रामीण इलाकों में संसाधनों की कमी भी है। जिसके कारण अधिकारियों ने भी कभी इस दिशा में कार्य करने के लिए नहीं सोचा। ग्रामीण इलाकों में सड़क किनारे बनी छोटी गुमटियों,परचून की दुकानों सहित गांवो से गुजरने वाली सड़को पर आपको पेट्रोल की बोतल और गैलेन टंगे हुए मिल जाएंगे। बड़ी बात यह है कि इसके लिए आपको हेलमेट या सीटबेल्ट पहनने की कोई आवश्यकता नहीं है। पेट्रोल खरीदने के लिए बाजार कीमत से दस या बीस रूपये अधिक देकर पेट्रोल आसानी से खरीदा जा सकता है। यह भी कहा जा सकता है कि परिवहन मुख्यालय से दूरी के साथ ही राजधानी के ग्रामीण इलाकों में यह अभियान कमजोर सा होता जाता है। अथवा फेल हो जाता है। यही कारण है कि 2025 की शुरुआत से लेकर जुलाई 2025 तक उत्तर प्रदेश में 29,917 सड़क हादसों में 16,337 लोगों की मौत हुई है, जबकि गंभीर रूप से 22,627 लोग घायल हुए हैं। सबसे अधिक मौतें युवा बाइक सवारों की हुई हैं और ये आंकड़े 2024 की तुलना में 15.66% अधिक हैं। हालांकि, ग्रामीण इलाकों से जुड़े विशेष आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, पर यह पाया गया है कि कुल हादसों में दोपहिया वाहन चलाने वाले लोगों की संख्या अधिक है। 2024 में 46,052 दुर्घटनाओं में 24,118 मौतें हुईं, जो 2023 से 2% अधिक है। जनवरी-जून 2025 में 25,830 दुर्घटनाओं में 4372 मौतें हुईं, जो 2024 के मुकाबले 26% अधिक है।
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