समर्पण और सेवा का प्रतीक: डॉ. डी.पी. सिंह ने मरीजों के दिलों में जीता विश्वास


सुल्तानपुर। समाज में जब भी किसी ने ज़रूरतमंदों की निःस्वार्थ सेवा की बात की, तो नाम आया डॉ. डी.पी. सिंह का एक ऐसा चेहरा, जिन्होंने अपने ज्ञान, पेशे और ज़िन्दगी को समाज के वंचित और गरीब तबके के नाम कर दिया। आज वे न केवल एक डॉक्टर, बल्कि एक मिशन, एक विचार और एक आदर्श बन चुके हैं। डॉ. डी.पी. सिंह का मानना रहा है कि "डॉक्टर वही सच्चा है, जो इलाज को सिर्फ पेशा नहीं बल्कि सेवा का माध्यम बनाए।" यही सोच लेकर उन्होंने सूर्या नर्सिंग होम की नींव रखी, जो आज गरीबों के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है। यहाँ न सिर्फ इलाज की सुविधा उपलब्ध है, बल्कि ज़रूरतमंदों को दवाएं और सहायता भी पूरी मानवीय संवेदना के साथ दी जाती है। बचपन से ही डॉ. सिंह का मन करुणा और सेवा से भरा रहा। जब वे डॉक्टर बने, तो उन्होंने देखा कि आर्थिक तंगी के कारण बहुत से मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं। उसी क्षण उन्होंने जीवन का लक्ष्य तय किया "हर व्यक्ति को चिकित्सा का अधिकार है, चाहे उसकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।" उनके क्लिनिक के दरवाज़े हमेशा बेसहारा, असहाय और गरीब मरीजों के लिए खुले रहते हैं। कई बार वे मरीजों को मुफ्त इलाज, मुफ्त दवाएं और यहाँ तक कि आर्थिक सहायता भी खुद अपनी जेब से देते हैं। यही कारण है कि लोग उन्हें स्नेहपूर्वक "गरीबों का मसीहा" कहते हैं। डॉ. डी.पी. सिंह की यह जीवन-गाथा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो समाज के लिए कुछ करना चाहता है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादे नेक हों, तो एक अकेला इंसान भी समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकता है।

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