सीखने, शिक्षा और परिवर्तन के लिए संवाद और वार्तालाप
लखनऊ। ऑल इंडिया प्राइमरी टीचर्स फेडरेशन (ए0आई0पी0टी0एफ0) और नेशनल कोएलिशन फॉर एजुकेशन (एन0सी0ई0) एवं साथी संगठनों के द्वारा 'विषमताओं के दौरान शिक्षा की निरंतरता' पर एक संवाद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात बैजनाथ रावतए अध्यक्षय एस0टी0/एस0सी0 आयोग द्वारा दीप प्रज्वलन से की गयी। उदघाटन संवाद में बैजनाथ जी द्वारा बच्चों की शिक्षा और शिक्षकों की भूमिका पर ज़ोर दिया साथ हीं यह कहा कि शिक्षा हीं विकास की सीधी है। बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा देने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता जरूरी है। छात्रो को बाल-मैत्री परिवेश देने के लिये अभिभावको को जागरूक करना जरूरी है। गरीब और अभिवंचित वर्ग खास कर दलितए आदिवासीए विगलांग आदि वर्ग के बच्चे शिक्षा से वंचित होते जा रहे हैं। आज भी अनेकों मजरों में जातिगत व्यवस्था के कारण कमजोर वर्ग के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। आयोग अभिभाकों को यह संदेश देना चाहता है कि सभी वर्ग के बच्चों की शिक्षा और उनका समान विकास उनका मौलिक अधिकार है जिसे सुनिश्चित करने के लिये आयोग सदैव तत्पर है। उन्होने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का उदाहरण देते हुये गुरु की भूमिका और भेद.भाव मुक्त शिक्षा पर ज़ोर दिया। उन्होने कहा कि अभिभावकों और बच्चों को भी अपने प्रयासों को बढ़ाना चाहिये जिससे वे विकासए शिक्षा और रोजगार के अवसर को ले पाएँ। बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिये अनुसासन में रखना चाहिए।
एस0सीई0आर0टी0 के जाइंट डाइरेक्टर डॉक्टर पवन सचान नें सभा को संबोधित करते हुये शिक्षकों का हौसला बढ़ाया। सचान नें बेसिक शिक्षा में किये जा रहे प्रयासों और विद्यालय की अधोसंरचना में कायाकल्प कार्यक्रम के द्वारा हुये सुधारों के बारे में बताया। उन्होने बताया कि नयी शिक्षा नीति भी सबको समान शिक्षा देने के कदम पर ज़ोर देता है। एससीईआरटी द्वारा नए कंटैंट बनाए जा रहे हैं जिससे कि बच्चों के सीख का स्तर बढ़े। सम्मेलन के दौरान प्रदेश के 14 चुनिन्दा शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और उत्कृष्ट कार्य करने के लिये सम्मानित किया गया। शिक्षकों नें अपने अपने विद्यालयों में किये गये शैक्षणिक प्रयासोंए सामुदायिक सहभागिता आदि को साझा किया।
ए0आई0पी0टी0एफ0 के अध्यक्ष सुशील पाण्डेय नें इस बात पर ज़ोर दिया किए प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिये। वर्तमान में प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत करने के लिये अकादमिक पदों और शिक्षकों के रिक्त स्थान को भरा जाना चाहिये। वर्तमान में एस0सी0ई0आर0टी0 में 13 प्रतिशत और डायट में 41प्रतिशत पोस्ट रिक्त हैं। राज्य में शिक्षकों की कम संख्या होने के कारण 5151 विद्यालय एकल शिक्षकों द्वारा संचालित हैं जिससे शिक्षा की गुणवत्ता बाधित हो रही है। शिक्षकों के रिक्त पदों को तुरंत भरा जाना चाहिये। साथ हीं शिक्षकों को गैर शिक्षणीक कार्यों से मुक्त करने पर हीं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को प्रदान की जा सकेगी इसलिये प्रसाशन या विभाग द्वारा किसी भी शिक्षकों को गैर.शैक्षणिक कार्यों में न लगाया जाये।
एन0सी0ई0 के संयोजक रमाकांत राय नें निजी विद्यालयों पर निययंत्रण लगाने, फीस नियामक कानून के प्रभावी क्रियान्वय पर ज़ोर दिया। प्रत्येक वर्ष निजी विद्यालयों के फीस में बढ़तोरी की जा रही है और अभिभावक ड्रेसए किताब-कॉपी आदि विद्यालय के द्वारा नियंत्रित और सुझाये हुये चंद दुकानों से लेने को बाधित हैं। प्रदेश में समान सिलेबस और पाठ्यपुस्तकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिये।
डॉ० वीना गुप्ता (शिक्षाविद्ध) ने कहा कि विद्यालय से बाहर बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है जिसमें खासकर आदिवासीए दलितए बाल मजदूरए दिव्यङ्गए बालिकाएँए प्रवासी मजदूर के बच्चें आदि शामिल हैं। इनको चिन्हित कर इनके लिये प्रस्तावित सहायक शिक्षा को देते हुये इन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की जरूरत है। इसके लिये सर्व प्रथम असेवित क्षेत्रों को चिन्हित करते हुये शाला से बाहर बच्चों के लिये विद्यालय 'शिक्षा के अधिकार कानून' के तहत खोला जाना चाहिए बजाय इसके कि कोम्पोजिट विद्यालय खोले जाएँ और विद्यालय से दूरी के कारण बच्चें शिक्षा से वंचित हो जायें।
आर्थिक अनुसंधान केंद्र के श्री हरिगोविंद सिंह नें कहा कि कार्यक्रम के माध्यम से संगठन के द्वारा सतत विकास लक्ष्य-4 को हांसील करने के लिये सौपे जा रहे मांगों को साझा किया। इसे हाँसिल करने के लिये शिक्षा के बजट जो सम्पूर्ण बजट का कम से कम 20 प्रतिशत होना चाहिये तथा शिक्षा के अधिकार कानून को पूर्ण रूप से लागू किया जाना चाहिये। प्रदेश में शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों की कमी को पूरा करने पर हीं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है। विद्यालय से बाहर सभी बच्चों को चिन्हित कर उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की जरूरत है जिसके लियेए असेवित क्षेत्रों को चिन्हित करने के साथ अन्य सुविधाओं को मुहैया करना शामिल है।
रेणु शुक्लाए अध्यक्ष आई0सी0डी0एस0 सूपर्वाइज़र असोशिएशन नें कहा कि पिछले दस वर्षों से आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों कि नियुक्ति रुकी हुई थीए जिसे शुरू कर सरकार नें अच्छा कार्य किया है, परंतु अभी भी अनेकों स्थान पर आंगनवाड़ी, आंगनवाड़ी सुपरवाइजर और अन्य स्थान रिक्त हैं जिससे प्रारम्भिक बाल्यावस्था विकास और सीख जैस्पर शिक्षा नीति पर भी ज़ोर दिया गया था, प्रभावित हो रही है। सभी असेवित स्थानों पर आंगनवाड़ी केन्द्रों की व्यवस्था की जानी चाहिये और आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों के साथ अन्य पोस्ट को भरे जाने चाहिये। नवनियुक्त आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों के प्रशिक्षन हेतु विशेष प्रबंध किये जाने चाहिये जिसमें स्थानीय गैर-सरकारी संस्थानों को भी शामिल किया जाना चाहिये। पूर्व प्रधमिक शिक्षा एक महत्वपूर्ण जरूरत है जिसे आंगनवाड़ी केन्द्रों में आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों द्वारा दिलाया जाना चाहिये। इसके लिये पर्याप्त बजट शिक्षण सामाग्री, पूर्व-प्राथमिक शिक्षण किट और वाल पेंटिंग पर किया जाना चाहिये।
रामायण यादव, यूपी फोर्सेस ने कहा कि वर्तमान में कामकाजी महिलाओं के लिये छोटे बच्चों की देखभाल एक चुनौती बन गयी है जिसके लिये प्रदेश में क्रेचे सेवायें शुरू की जानी चाहिये जिसमें बच्चों की सुरक्षित देखभाल के साथ पोषण की व्यवस्था हो। प्रदेश में वर्तमान में कोई भी क्रेच सेवा संचालित नहीं है। पहले केंद्र सरकार की राजीव गांधी राष्ट्रीय क्रेच योजना के तहत यूपी में कुछ क्रेच कार्यरत थीं। लेकिन वर्ष 2017-18 के बाद फंडिंग में भारी कटौती और फिर कोविड-19 महामारी के कारण लगभग सभी क्रेच बंद हो गईं। केंद्र सरकार ने 2022 में 'पालना' योजना के तहत आंगनवाड़ी कम क्रेच (एडब्ल्यूसीसी) शुरू करने का प्रस्ताव रखा। देश भर में करीब 17,000(एडब्ल्यूसीसी) की योजना थीए लेकिन उत्तर प्रदेश में इसकी संख्या अभी तक शून्य है। पालना के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों को सक्रिय क्रेच केंद्रों में बदला जाना चाहिय और जीपीडीपी में स्थानीय पंचायतों को क्रेच प्रस्ताव देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
ए0आई0पी0टी0एफ0 के अध्यक्ष सुशील पाण्डेय नें इस बात पर ज़ोर दिया किए प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिये। वर्तमान में प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत करने के लिये अकादमिक पदों और शिक्षकों के रिक्त स्थान को भरा जाना चाहिये। वर्तमान में एस0सी0ई0आर0टी0 में 13 प्रतिशत और डायट में 41प्रतिशत पोस्ट रिक्त हैं। राज्य में शिक्षकों की कम संख्या होने के कारण 5151 विद्यालय एकल शिक्षकों द्वारा संचालित हैं जिससे शिक्षा की गुणवत्ता बाधित हो रही है। शिक्षकों के रिक्त पदों को तुरंत भरा जाना चाहिये। साथ हीं शिक्षकों को गैर शिक्षणीक कार्यों से मुक्त करने पर हीं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को प्रदान की जा सकेगी इसलिये प्रसाशन या विभाग द्वारा किसी भी शिक्षकों को गैर.शैक्षणिक कार्यों में न लगाया जाये।
एन0सी0ई0 के संयोजक रमाकांत राय नें निजी विद्यालयों पर निययंत्रण लगाने, फीस नियामक कानून के प्रभावी क्रियान्वय पर ज़ोर दिया। प्रत्येक वर्ष निजी विद्यालयों के फीस में बढ़तोरी की जा रही है और अभिभावक ड्रेसए किताब-कॉपी आदि विद्यालय के द्वारा नियंत्रित और सुझाये हुये चंद दुकानों से लेने को बाधित हैं। प्रदेश में समान सिलेबस और पाठ्यपुस्तकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिये।
डॉ० वीना गुप्ता (शिक्षाविद्ध) ने कहा कि विद्यालय से बाहर बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है जिसमें खासकर आदिवासीए दलितए बाल मजदूरए दिव्यङ्गए बालिकाएँए प्रवासी मजदूर के बच्चें आदि शामिल हैं। इनको चिन्हित कर इनके लिये प्रस्तावित सहायक शिक्षा को देते हुये इन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की जरूरत है। इसके लिये सर्व प्रथम असेवित क्षेत्रों को चिन्हित करते हुये शाला से बाहर बच्चों के लिये विद्यालय 'शिक्षा के अधिकार कानून' के तहत खोला जाना चाहिए बजाय इसके कि कोम्पोजिट विद्यालय खोले जाएँ और विद्यालय से दूरी के कारण बच्चें शिक्षा से वंचित हो जायें।
आर्थिक अनुसंधान केंद्र के श्री हरिगोविंद सिंह नें कहा कि कार्यक्रम के माध्यम से संगठन के द्वारा सतत विकास लक्ष्य-4 को हांसील करने के लिये सौपे जा रहे मांगों को साझा किया। इसे हाँसिल करने के लिये शिक्षा के बजट जो सम्पूर्ण बजट का कम से कम 20 प्रतिशत होना चाहिये तथा शिक्षा के अधिकार कानून को पूर्ण रूप से लागू किया जाना चाहिये। प्रदेश में शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों की कमी को पूरा करने पर हीं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है। विद्यालय से बाहर सभी बच्चों को चिन्हित कर उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की जरूरत है जिसके लियेए असेवित क्षेत्रों को चिन्हित करने के साथ अन्य सुविधाओं को मुहैया करना शामिल है।
रेणु शुक्लाए अध्यक्ष आई0सी0डी0एस0 सूपर्वाइज़र असोशिएशन नें कहा कि पिछले दस वर्षों से आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों कि नियुक्ति रुकी हुई थीए जिसे शुरू कर सरकार नें अच्छा कार्य किया है, परंतु अभी भी अनेकों स्थान पर आंगनवाड़ी, आंगनवाड़ी सुपरवाइजर और अन्य स्थान रिक्त हैं जिससे प्रारम्भिक बाल्यावस्था विकास और सीख जैस्पर शिक्षा नीति पर भी ज़ोर दिया गया था, प्रभावित हो रही है। सभी असेवित स्थानों पर आंगनवाड़ी केन्द्रों की व्यवस्था की जानी चाहिये और आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों के साथ अन्य पोस्ट को भरे जाने चाहिये। नवनियुक्त आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों के प्रशिक्षन हेतु विशेष प्रबंध किये जाने चाहिये जिसमें स्थानीय गैर-सरकारी संस्थानों को भी शामिल किया जाना चाहिये। पूर्व प्रधमिक शिक्षा एक महत्वपूर्ण जरूरत है जिसे आंगनवाड़ी केन्द्रों में आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों द्वारा दिलाया जाना चाहिये। इसके लिये पर्याप्त बजट शिक्षण सामाग्री, पूर्व-प्राथमिक शिक्षण किट और वाल पेंटिंग पर किया जाना चाहिये।
रामायण यादव, यूपी फोर्सेस ने कहा कि वर्तमान में कामकाजी महिलाओं के लिये छोटे बच्चों की देखभाल एक चुनौती बन गयी है जिसके लिये प्रदेश में क्रेचे सेवायें शुरू की जानी चाहिये जिसमें बच्चों की सुरक्षित देखभाल के साथ पोषण की व्यवस्था हो। प्रदेश में वर्तमान में कोई भी क्रेच सेवा संचालित नहीं है। पहले केंद्र सरकार की राजीव गांधी राष्ट्रीय क्रेच योजना के तहत यूपी में कुछ क्रेच कार्यरत थीं। लेकिन वर्ष 2017-18 के बाद फंडिंग में भारी कटौती और फिर कोविड-19 महामारी के कारण लगभग सभी क्रेच बंद हो गईं। केंद्र सरकार ने 2022 में 'पालना' योजना के तहत आंगनवाड़ी कम क्रेच (एडब्ल्यूसीसी) शुरू करने का प्रस्ताव रखा। देश भर में करीब 17,000(एडब्ल्यूसीसी) की योजना थीए लेकिन उत्तर प्रदेश में इसकी संख्या अभी तक शून्य है। पालना के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों को सक्रिय क्रेच केंद्रों में बदला जाना चाहिय और जीपीडीपी में स्थानीय पंचायतों को क्रेच प्रस्ताव देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
स्टेट कलेक्टिव फॉर राइट टु एडुकेशनए (स्कोर) के संयोजक संजीव सिन्हा ने सभी शिक्षा के अधिकार कानून के प्रभावी कृयान्वय पर ज़ोर दिया। डिजिटल इंडिया पर ज़ोर दिया जा रहा है जो कि अत्यंत हीं जरूरी है परंतु वर्तमान में चुनिंदे विद्यालयों में हीं इंटरनेट और कम्प्युटर की व्यवस्था हैए जैसपर ध्यान दिया जाना चाहिये। कार्यक्रम के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार करने वाले और विशिष्ट कार्य को प्रदर्शीत करने वाले शिक्षकों नें अपने कार्यों को साझा किया और उन्हें सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बिहारए दिल्ली और उत्तर प्रदेश से शिक्षगनों नें प्रतिभाग किया और अपने विचारों को साझा किया।
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