मासूम बच्ची से रेप के आरोपी का पुलिस ने किया एनकाउंटर

24 घंटे के भीतर गिरफ्तार, तमंचा, कारतूस, खोखा, बाइक और अन्य सामान बरामद

लखनऊ। मदेयगंज थाना क्षेत्र में पुलिस और एक शातिर अपराधी के बीच मुठभेड़ की खबर सामने आई है। आरोपी पर बीते दिनों चार साल की मासूम बच्ची से रेप का गंभीर आरोप लगा था। पुलिस को उसके छिपे होने की गुप्त सूचना मिली, पुलिस ने सूचना के आधार पर सर्च आॅपरेशन चलाया। आरोपी के चारों तरफ से घिरे होने पर उसने पुलिस पर फायरिंग करना शुरू कर दिया। जवाबी फायरिंग में अरोपी पुलिस की गोली लगने से घायल हो गया। घायल आरोपी को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसकी पहचान रेप के वांछित कमल किशोर उर्फ भद्दर के रूप में हुई। उसके पास से तमंचा, कारतूस, खोखा, बाइक और अन्य सामान बरामद हुआ। घटना मंगलवार रात 3 बजे की है। सोमवार की रात 2 बजे बच्ची के साथ रेप करके वह फरार हुआ था। पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। थाना मदेयगंज की पुलिस टीम मंगलवार रात 3 बजे रघुवंशी ढाल पर चेकिंग कर रही थी। इस दौरान बाइक सवार को रूकने का इशारा किया। उसने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में गोली चलाई। पुलिस की गोली आरोपी के पैर में लगी। इससे वह घायल होकर गिर गया। पुलिस टीम ने उसे दबोच लिया। सूचना पर डीसीपी आशीष श्रीवास्तव भी मौके पर पहुंचे। सोमवार की रात लगभग 2 बजे भद्दर ने एक मासूम बच्ची के साथ रेप किया था। पुलिस ने रात में मुकदमा दर्ज करके उसकी तलाश शुरू की। 24 घंटे के भीतर मंगलवार रात 3 बजे बंधा रोड रघुवंशी ढाल पर मुठभेड़ में उसे दबोच लिया। कमल किशोर उर्फ भद्दर, सीतापुर के सिधौली का रहने वाला है। लखनऊ के थाना मदेयगंज क्षेत्र में बंधा रोड की झोपड़पट्टी में रहता था। यहां घनी बस्ती है। बाहरी मजदूर रहते हैं, जो एक-दूसरे से जान-पहचान नहीं रखते हैं। इस वजह से वह इस इलाके में छिपकर रहता था। भद्दर आसपास के घरों और गलियों में दिन में घूमा करता था। वह बच्चों पर नजर रखता, उनकी दिनचर्या समझता और जिनके घरों में निगरानी कम होती, उन्हें ही टारगेट करता था। वह खासतौर पर ऐसे बच्चों को निशाना बनाता जो खेलते समय अकेले हो जाते या झोपड़ी के पास से गुजरते थे। कई बार वह बच्चों को टॉफी या बिस्किट का लालच देकर अपने ठिकाने तक ले जाता था। बंधा रोड की झोपड़ी में भद्दर अकेले रहता था। यहीं पर उसने अपनी छोटी-सी जगह को अपराध की अड्डे में बदल रखा था। आसपास के लोगों से दूर-दूर तक उसकी कोई करीबी नहीं थी, जिससे संदेह भी कम होता था। झोपड़ी की बनावट ऐसी थी कि कोई भी झांक कर अंदर नहीं देख सकता था। आसपास का शोर-शराबा उसकी करतूतों को ढक लेता था। घटना को अंजाम देने के बाद भद्दर अक्सर झोपड़ी में नहीं रुकता था। वह आसपास के खाली प्लॉट, पुलों के नीचे, या बंधे किनारे बनी झाड़ियों में जा छिपता था। पुलिस को गुमराह करने के लिए वह इलाके से निकलकर दो-तीन घंटे बाद ही वापस आता था। मदेयगंज थाना पुलिस एसआईटी के माध्यम से उसके आपराधिक इतिहास की जांच कर रही है। आशंका है कि लखनऊ या सिधौली में भी इससे पहले वह कई वारदातों को अंजाम दे चुका हो सकता है।

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