- विधानसभा के सामने परिवार संग सुसाइड करने पहुंचा, बोला- पुलिस से बचाओ
लखनऊ। देश की सीमा पर जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में एलओसी पर तैनात एक हवलदार को अपनी जान बचाने और भू-माफिया से अपनी जमीन छुड़ाने के लिए मजबूरन लखनऊ में विधानसभा के सामने आत्महत्या का प्रयास करना पड़ा। यह चौंकाने वाली घटना मंगलवार को तब सामने आई जब सेना के हवलदार मनोज कुमार अपनी पत्नी पूजा माँ और चाचा के साथ विधानसभा पहुँचे। उनके हाथों में तख्तियाँ थीं जिन पर लिखा था, सैनिक की जमीन भू-माफिया और पुलिस से बचाओ। मनोज कुमार का दावा है कि वह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अहम सैन्य अभियान में शामिल रह चुके हैं लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस का ही एक इंस्पेक्टर भू-माफिया की मदद से लखनऊ स्थित उनके प्लॉट पर जबरन कब्जा कर रहा है। मनोज कुमार जो पीजीआई के देवी खेड़ा गांव पवन पुरी कॉलोनी के रहने वाले हैं वर्तमान में 45 आरआर कुपवाड़ा में तैनात हैं। उनका आरोप है कि फतेहपुर के चाँदपुर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह दबंगई के दम पर उनकी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।
हवलदार की पत्नी पूजा ने बताया कि उन्होंने डिफेंस कॉलोनी तेलीबाग में जमीन ली थी जिस पर इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह जबरदस्ती निर्माण कर रहे हैं जबकि उनकी रजिस्ट्री फर्जी है। पूजा ने रोते हुए कहा पूरी जिन्दगी की कमाई हमने घर बनाने के लिए लगा दी। अब हमारे बच्चे खाने के लिए भी मोहताज हैं। यहाँ एसी में बैठे अधिकारी हमारी मदद नहीं कर रहे हैं। हवलदार मनोज कुमार और उनके परिवार ने न्याय के लिए हर दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्हें कहीं से मदद नहीं मिली। उन्होंने बताया कि उन्होंने पीजीआई थाने मुख्यमंत्री पोर्टल मुख्यमंत्री दरबार (गोरखपुर और लखनऊ दोनों) और सैनिक वेलफेयर में डीएम से भी मुलाकात की। मनोज कुमार ने बताया कि डीएम से मुलाकात के बाद प्लॉट पर निर्माण कार्य रुकवाने के आदेश हुए थे लेकिन इंस्पेक्टर लगातार तेजी से निर्माण करवा रहा है। हवलदार का दावा है कि डीएम साहब भी अब कहने लगे हैं कि मेरे पास अथॉरिटी नहीं है हमको जब तक अथॉरिटी नहीं मिलती तब तक निर्माण को नहीं रोक सकते हैं। न्याय न मिलने से परेशान होकर हवलदार मनोज कुमार ने अंत में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ विधानसभा पर खुद को खत्म करने का फैसला लिया। हवलदार मनोज कुमार ने बताया कि वह छुट्टी पर आए थे और उन्हें बुधवार को वापस ड्यूटी जॉइन करनी थी लेकिन उन्होंने कमांडिंग ऑफिसर से परमिशन लेकर इस मामले को सुलझाने के लिए लखनऊ में रुकने का फैसला किया है। जब तक न्याय नहीं मिलेगा घर वापस नहीं जाऊँगा। पिछले 20 दिन से भाग दौड़ करते-करते थक चुका हूँ। वहीं इस मामले पर इंस्पेक्टर पीजीआई का कहना है कि पीडि़त चाहते हैं कि उनका सारा समाधान तुरंत हो जाए जबकि यह मामला सिविल से जुड़ा हुआ है।