जिला मुख्यालय पर 27 लाख बिजली कर्मचारियों ने किया जोरदार प्रदर्शन

निजीकरण के खिलाफ सड़क पर उतरे कर्मचारी

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में 27 लाख कर्मचारियों ने जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर नाराजगी जताई। निजीकरण की कार्रवाई को तत्काल बंद करने के लिए सरकार से मांग की। जिला मुख्यालय पर निजीकरण का विरोध प्रदर्शन किया गया। 42 जनपदों और प्रमुख बिजली परियोजनाओं में कर्मचारियों ने भोजनावकाश के दौरान धरना-प्रदर्शन कर निजीकरण के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। संघर्ष समिति संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया कि निजीकरण की प्रक्रिया में ग्रांट थॉर्टन नामक ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट को गलत तथ्यों और झूठे शपथ पत्र के बावजूद क्लीन चिट देकर दोबारा नियुक्त कर लिया। जबकि इंजीनियर ऑफ कांट्रैक्ट ने उसकी नियुक्ति निरस्त करने की सिफारिश की थी। निधि नारंग, निदेशक (वित्त), को तीसरी बार सेवा विस्तार इसी मिलीभगत के चलते मिला है। संघर्ष समिति सदस्यों कहा- उत्तर प्रदेश सरकार जानबूझकर घाटे के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रही है। राज्य में निजी बिजली उत्पादक कंपनियों को बिना बिजली खरीदे ही हर साल 6761 करोड़ का भुगतान किया जा रहा है। साथ ही, महंगे दामों पर बिजली खरीद कर वितरण कंपनियों पर 10000 करोड़ का अतिरिक्त भार डाला जा रहा है। सरकारी विभागों पर 14400 करोड़ का बकाया बिजली बिल है। सब्सिडी मद में सरकार हर साल 22000 करोड़ का बोझ उठाती है। विरोध प्रदर्शन कर कर्मचारियों ने कहा कि किसी प्रकार का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं करेगा।

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