भ्रष्टाचार के मामले पर भाजपा को लिया आड़े हाथ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव शुक्रवार को एक दिवसीय दौरे पर अमेठी पहुँचे, जहाँ उन्होंने सधी हुई राजनीतिक शैली में विपक्ष और पार्टी के बागी नेताओं पर तीखे वार किए। सड़क किनारे ठेले से नारियल पानी पीते हुए आम जनता से संवाद करते हुए उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की, जिसने सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी। अखिलेश यादव ने लिखा, "छोटे दुकानदारों और स्थानीय कारोबारियों को बढ़ावा देकर ही ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का सपना पूरा किया जा सकता है।" यह वक्तव्य न सिर्फ अर्थव्यवस्था की जमीनी ज़रूरतों की ओर इशारा करता है, बल्कि भाजपा के ‘बड़े पूंजीपति समर्थक’ छवि पर भी एक स्पष्ट तंज था। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा शासन में “निवेशकों से एजेंट पहले ही एडवांस कमीशन मांग रहे हैं और अधिकारियों के स्थानांतरण के साथ ही टेंडर रद्द किए जा रहे हैं।” राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी अखिलेश यादव ने अमेठी से सपा छोड़कर भाजपा में गए नेताओं पर बिना नाम लिए तीखा हमला बोला। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “अमेठी के जिन लोगों ने पाला बदला है, वे तीन कारणों से अब कभी नहीं जीत पाएंगे – एक, एहसान फरामोशी; दो, दगाबाजी; तीन, उस दल में चले जाना जो अपने ही लोगों का सगा नहीं।” उन्होंने आगे लिखा, “ऐसे लोगों ने अपनी राजनीति पर खुद ही पूर्णविराम लगा दिया है।” इस दौरान उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वे फल की दुकान पर खरबूजे का वजन अनुमान लगाते दिखाई दे रहे हैं। दूसरा वीडियो उन्हें नारियल पानी पीते दिखाता है। दोनों ही दृश्य, उनके ज़मीनी जुड़ाव और आम जनता से संवाद की कोशिश का प्रतीक बनकर सामने आए हैं। भाजपा पर भी उन्होंने ज़ुबानी हमला बोलते हुए उसे "चित्रजीवी" करार दिया और कहा, “बात यह नहीं होनी चाहिए कि फिर हमला हुआ तो जवाब देंगे, बल्कि बात यह होनी चाहिए कि फिर हमला न हो – जनता को सुरक्षा का भरोसा मिलना चाहिए।” इसी बीच, समाजवादी पार्टी के बागी विधायक राकेश प्रताप सिंह ने भी मोर्चा संभालते हुए पलटवार किया। उन्होंने कहा, “जहाँ राम और राष्ट्र का सवाल आएगा, मैं हमेशा बागी रहूँगा। भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों के खिलाफ मेरी आवाज़ हमेशा बुलंद रहेगी।” उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि “11 थानों में झगड़े होने के बावजूद राष्ट्रीय अध्यक्ष ने एक बार भी फोन नहीं किया। ऐसे नेतृत्व को आत्मचिंतन करना चाहिए।” अखिलेश यादव का यह दौरा न केवल एक सियासी संदेश था, बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों की बुनियाद भी। नारियल पानी की सादगी के पीछे छुपी इस तीखी राजनीति ने एक बार फिर अमेठी को प्रदेश की राजनीतिक बहस के केंद्र में ला खड़ा किया है।
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